सिक्का प्राचीन भारतीय इतिहास जानने का महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्रोत सिक्का है|
सिक्कों से हमें पता चलता है :- राजा के सम्राज्य विस्तार, राजा का धर्म,सम्राज्य की चौहदी तथा आर्थिक स्थिति का विशेष जानकारी प्राप्त होता है |सिक्कों कों किस नाम से जाना जाता है?
वैदिक साहित्य में सिक्के के लिए निस्क, सतमान, कृष्णल, हिरण्यपिंड जैसे शब्दों का उल्लेख हुआ है लेकिन विद्वानों का मानना है ये सिक्के न होकर सोने की इकाई था जिसका इस्तेमाल वस्तु विनिमय में किया जाता था |* भारत का प्राचीनतम सिक्का पंचमार्क है जिसे आहत और धरण के नाम से भी जाना जाता था, इसका उल्लेख मनुस्मृति में मिलता है |यह चाँदी का होता था |* सतमान एवं धरण नामक सिक्के की जानकारी हमें पाणणि के आष्टाध्यायी से मिलती है |* पण नामक चाँदी की सिक्के की जानकारी कौटिल्य के अर्थशास्त्र से प्राप्त होता था |* रजत नामक सिक्के की जानकारी भाष्यकराचार्य की पुस्तक लिलावती से प्राप्त होती है, यह पुस्तक बिजगणित से सम्बंधित है |*200 ई पू से 300 ई तक का भारतीय राजनीतिक इतिहास के जानकारी सिक्का से प्राप्त होती है |* उज्जैन, मालवा एवं यौधेव के शक शासकों का जानकारी का एकमात्र स्रोत सिक्का है |* सोने का सिक्का सबसे पहले उत्तर भारत में हिन्द -युनानी शासकों ने जारी किया एवं सबसे ज्यादा सोने का सिक्का गुप्त शासकों ने जारी किया |*दक्षिण भारत में सबसे पहले सोने का सिक्का कदम्ब शासकों ने जारी किया और सबसे ज्यादा सोने का सिक्का दक्षिण भारत में चोल शासकों ने जारी किया |Note:- हिन्द युनानी शासकों के सिक्के सर्वाधिक शुद्ध है जबकि गुप्तों के सिक्कों में मिलावट है |
सोने का सिक्कों का नाम
- दीनार
- पटथ
- पल
- स्वर्ण
- निकल
- फनम
- पदमंटक
- पोन
- बराह
- तेन
- हुन
- पैडाइज
- पैगोंडा
चाँदी का सिक्कों का नाम
- सतमान
- रूपक
- पण
- धरण
- रूपय
- रजत
- हम्प
- रईस
- ट्रम्प
ताँबे के सिक्कों का नाम
- नासक
- धरणी
- मासक
* डेरी एवं सिगोली नाम का सिक्का सिकंदर कालीन है | * ईरानी शासक दारा ( डेरियस ) के सिक्कों को टेलेंट के नाम से जाना जाता था |
सिक्कों का इतिहास
- 1. सिंधु सभ्यता के सिक्के
- 2. वैदिक काल के सिक्के
- 3.मौर्य काल के सिक्के
- 4. हिन्द युनानी शासकों के सिक्के
- 5. सातवाहन वंश के सिक्के
- 6. गुप्तकाल के सिक्के
1. सिंधु सभ्यता के सिक्के
सिंधु घाटी सभ्यता मुख्य रूप से सिक्के सेलखड़ी, सुखीमिट्टी, ताँम्बा और काँसा के थे और इसका आकार वर्गाकार, आयताकार, बेलनाकार और गोलाकार था |2. वैदिक काल के सिक्के
वैदिक काल में सिक्कों के लिए निस्क, सतमान, कृष्णल, पाद और हिरण्यापिंड शब्द का इस्तेमाल हुआ है, जो एक प्रकार का सोने का इकाई था |* भारत का प्राचीनतम सिक्का पंचमार्क है जिसे आहत और धरण के नाम से भी जाना जाता था, इसका उल्लेख मनुस्मृति में मिलता है |यह चाँदी का होता था | ताँम्बे के भी पंचमार्क सिक्के प्राप्त हुए हैं, यह मुख्यत: मध्य गंगा घाटी से प्राप्त हुआ था | इन सिक्कों पर अंकित चित्र आधा चाँद, मछली, वृत्त, पहाड़ तथा पशु है |इसकी तिथी 550 B. C थी |नोट :- के. पी जायसवाल के द्वारा खोजा गया एक मात्र सोने का आहत सिक्का वैशाली से मिला है |
3.मौर्य काल के सिक्के
ताँम्बे का सिक्का माषक के नाम से जाना जाता था मौर्यकाल में एवं छोटे मूल्य के ताँम्बे के सिक्के काकीणि तथा अर्धमाषक कहलाते थे |लक्षणाध्यक्ष :- सिक्का जारी करने वाला विभाग का अध्यक्ष
रुपदर्शक :- सिक्कों की शुद्धता की जाँच करने वाला
सौवर्णिक :- टक्साल का प्रभारी
पण - चाँदी का सिक्का था, 3/4 तोला चाँदी बराबर 1 पण | इस पर मोर का चित्र अंकित होता था |
4. हिन्द युनानी शासकों के सिक्के
हिन्द युनानी प्रथम शासक थे जिन्होंने अपने सिक्के पर खरोष्टी एवं युनानी लिपि में लेख लिखवाना अंकित करवाया |इसके सोने के सिक्के स्टेटर जबकि चाँदी के सिक्के को ड्रम के नाम से जाना जाता है |कुषाणों ने सबसे पहले शुद्ध सोने का सिक्का जारी किया, इनके सिक्कों पर शिव, नंदी तथा त्रिशुल के चित्र अंकित थे |इन्होंने अपने सिक्कों पर महेश्वर की उपाधि धारण की | कनिष्क के सोने के सिक्के पर चन्द्रमा, सूर्य, अग्नि, डमरू तथा त्रिशुल के चित्र अंकित है | * हुविस्क के सिक्के पर बुद्ध, शिव, कार्तिक, विष्णु एवं उमा के चित्र अंकित है |नोट : कुषाण वंश प्रथम शासक थे जिन्होंने सिक्कों पर राजा -रानी का चित्र अंकित कराना शुरू किया |
5. सातवाहन वंश के सिक्के
सातवाहनों के शासन काल में उत्तर पश्चिम सिमा प्रान्त से शकों के आक्रमण प्रारम्भ होने के परिणामस्वरूप चाँदी की उपलब्धता घट गयी | जिसके कारणवश सातवाहनों के द्वारा जारी किए गए सिक्के शीशे एवं प्रोरीन (रांगा ) के थे | जिन्हें रूपम के नाम से जाना जाता था |6. गुप्तकाल के सिक्के
गुप्तकाल में चन्द्रगुप्त प्रथम ने सर्वप्रथम सोने का सिक्का जारी किया, जिसे विवाह प्रकार के सिक्के के नाम से जाना जाता है | इस सिक्के पर चन्द्रगुप्त प्रथम कुमारदेवी को अँगुठी पहनाते हुए दिखाया गया है |समुद्रगुप्त ने वीणा प्रकार, अश्वमेघ प्रकार, धनुर्धर प्रकार और व्याघ्र प्रकार के सिक्के जारी किए |* कुमारगुप्त को सोने के सिक्के पर उसे गेंडा को मरते हुए दिखाया गया है | जिसके आधार पर विद्वानों का ऐसा मानना था उसे असम पर विजय प्राप्त की थी |चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य ने शकों को पराजीत के पश्चात् अपनी पत्नी ध्रु देवी के साथ मिलकर पहली बार चाँदी का सिक्का जारी किया जिसे रूपक के नाम से जाना जाता है | दीनार पटथ की तुलना में अधिक शुद्ध था | * कौड़ियों की बात फाहियान की यात्रा वृतांत फायुकी में मिलती है |नोट :- चोलकालीन सबसे महत्वपूर्ण सोने का सिक्का कलंजु था |
सिक्कों पर अंकित राज्यचिन्ह :-
- 1चोल ----- बाघ
- 2. चेर.......... धनुष
- 3.पांडेय..... मछली
- 4. पल्लव..... जलपोत नाव
- 5चालुक्य..... बराह
- 6. सातवाहन...... बड़ा नाव
- इच्छवाकु......... सुढ़ उठाये हाथी
- मौर्य.......... मोर
- गुप्त...... गरुड़