स्वाधीनता दिवस का अर्थ
भारत की स्वतंत्रता संग्राम में 26 जनवरी 1930 का दिन एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बना। इस दिन, भारत ने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ अपने स्वतंत्रता के लिए एक ठोस संकल्प लिया। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने इस दिन को ‘स्वाधीनता दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया, जिसका उद्देश्य अपने देशवासियों को स्वतंत्रता के लिए जागरूक करना था।
संकल्प और अहमियत
सन् 1929 में, लाहौर में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में पंडित नेहरू द्वारा ‘पूर्ण स्वराज’ का संकल्प लिया गया। यह संकल्प भारत के लिए पूरी स्वतंत्रता की मांग का आधार बना। 26 जनवरी 1930 को मनाया गया पहला स्वाधीनता दिवस, भारतीय जनता के लिए एक प्रतीक बन गया, जो स्वतंत्रता, समानता और न्याय की परवाह करता था।
आज के परिप्रेक्ष्य में स्वाधीनता दिवस
आज भी, 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिसमें भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई के प्रतीक के रूप में उस दिन को विशेष मान्यता दी जाती है। यह दिन न केवल जनता को स्वतंत्रता का अहसास कराता है, बल्कि हमें यह भी याद दिलाता है कि स्वतंत्रता की प्राप्ति के संघर्ष में कितनी बलिदान हुए। आज हम अपने देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझते हैं और इसकी रक्षा हेतु तत्पर हैं।