अभिलेख

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अभिलेख से राजा के व्यक्तिगत धर्म और सम्राज्य विस्तार की जानकारी प्राप्त होती है |साथ ही साथ सम्राज्य की चौहदी का स्पष्टीकरण होता है | राजा के उपाधियों, विजय अभियान एवं उपलब्धियों के सम्बन्ध में सूचना मिलती है |
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अभिलखों कि संख्या कितनी है? सभी अभिलेखों के बारे में विस्तार से समझे

1. बोगच कोई अभिलेख (1400 B.C)

बोगच कोई अभिलेख एशिया माईनर से पाया गया है | इस अभिलेख में वैदिक कालीन देवता इंद्र, मित्र, वरुण और नातस्य का उल्लेख है | इससे यह स्पष्ट होता है की ऋग्वैदिक कालीन आर्य एशिया माईनर से धीरे -धीरे माइग्रेट करके भारत की ओर प्रस्थान किए थे |

* इस अभिलेख में मित्र और वरुण के बीच संघर्ष की चर्चा है एवं बलवुद्ध और तरुक्ष नामक दो दास सरदारों का उल्लेख है |

2. मितन्नी अभिलेख (1600 B.C) इस अभिलेख में जन और कबिला की चर्चा है |

3. तेल अमन अभिलेख

तेल अमन अभिलेख बेबीलोनिया से पाया गया है | यह मिट्टी के तख्ती पर मिला है | इसमें वर्णित राजा, वृक्ष, नदी तथा पेड़ – पौधो का नाम भारत से मिलता जुलता है | जिससे स्पष्ट होता है कि भारत और बेबीलोनिया के बीच व्यापारिक सम्बन्ध थे |

4. हाथी गुफा अभिलेख

हाथी गुफा अभिलेख उड़ीसा के खण्डगिरी या उदयगिरी अभिलेख से पाया गया है | इसे जारी खारवेल शासक ने किया था और इसी अभिलेख से पता चलता है खारवेल जैन था | इस अभिलेख में उल्लेखित का कि मगध कि किसी शासक ( महापदमानंद )ने कलिंग पर आक्रमण किया था तथा यहाँ से जैन तीर्थंकर कि मूर्ति मगध ले आया था |

* नागपंचमी का प्राचीनतम पुरातात्विक प्रमाण सिंधु घाटी सभ्यता (मोहनजोदड़ो और लोथल )से प्राप्त होता है और नागपंचमी का प्रथम अभिलेखीय प्रमाण हाथी गुफा अभिलेख से मिलता है |

5. गिरनार अभिलेख

गिरनार अभिलेख कों जूनागढ़ अभिलेख के नाम से भी जाना जाता है | यह समुन्द्रतट पर पाया गया प्रथम अभिलेख है | यह मुख्य शैली में लिखा गया प्रथम अभिलेख है | यह संस्कृत में लिखा गया प्रथम अभिलेख है | इस अभिलेख में रुद्रदमन कि उपलब्धि, विजय अभियान और सम्राज्य विस्तार के सम्बन्ध में सूचना मिलती है | इस अभिलेख से स्पष्ट होता है कि रुद्रदमन ने उत्तर में माड़वाड़, दक्षिण में कोंकण, पूर्व में मध्यप्रदेश तथा पश्चिम में सिंधु क्षेत्र तक सम्राज्य का विस्तार किया |

नोट - सुदर्शन झील - इसका निर्माण चन्द्रगुप्त मौर्य के राज्यपाल पुष्यगुप्त ने सिंचाई के उद्देश्य से कराया था | * रुद्रदमन के समय उसके राज्यपाल चक्रपालित ने सुदर्शन झील का पुन:निर्माण करवाया |

6.अयोध्या अभिलेख

यह अभिलेख फ़ैजाबाद (अयोध्या ) से मिला है | इसको जारी करने वाला शासक का नाम धनदेव था | इस अभिलेख से स्पष्ट होता है कि पुष्यमित्र शुंग ने दो बार अश्वमेघ यज्ञ कराया था तथा अशोक ने जो पशुवध रोक लगायी थी उसने पुनः प्रारम्भ कर दिया |

7. बाँसखेड़ा अभिलेख

यह अभिलेख उत्तर प्रदेश से मिला है और इसको जारी करने वाला शासक का नाम हर्षवर्धन है | इससे हर्षवर्धन के सम्राज्य विस्तार, विजय अभियान तथा बौद्ध धर्म के प्रति झुकाव के बारे में पता चलता है |

8. हेलीयोडोरस अभिलेख

हेलीयोडोरस का बेसनगर या विदिशा का गरुड़दध्वज स्तम्भ अभिलेख यह शुंग कालीन घटना है | इस अभिलेख से स्पष्ट होता है कि हेलीयोडोरस युनानी शासक एंटीओकास का राजदुत था | जो काशीनरेश भागभद के दरबार में आया था | इस अभिलेख पर हेलीयोडोरस ने अपना परम भागवत एवं वासुदेवक अंकित कराया है | यह भारत में भागवत धर्म के प्रचार का प्राचीनतम प्रमाण है |

9. मंदशोर अभिलेख

मन्दशोर अभिलेख मालवा से प्राप्त हुआ है और इसको जारी करने वाला शासक यशोवर्मन था | इस अभिलेख में मन्दशोर के सूर्य मंदिर कि प्रशांसा कि गयी है | इस अभिलेख से स्पष्ट होता है कि मन्दशोर के रेशम बुनकरों ने सूर्य मंदिर कों दान दिया था |

10. एहोल अभिलेख

एहोल अभिलेख गुजरात से प्राप्त हुआ है और इसको जारी करने वाला शासक कल्याणी के चालुक्य वंशीय शासक पुलकेसिन द्वितीय था |इस अभिलेख कों रविकिर्ती द्वारा लिखा गया था | इस अभिलेख से स्पष्ट होता है कि पुलकेसिन द्वितीय ने उत्तरापत स्वामिन अर्थात हर्षवर्धन कों पराजित किया था |

11. ग्वालियर अभिलेख

ग्वालियर अभिलेख मध्यप्रदेश से पाया गया है और इसको जारी करने वाला शासक राजा भोज था | इस अभिलेख से स्पष्ट होता है कि राजा भोज ने सिंचाई के लिए बहुत सारे तड़ाग (नहर ) खुदवाए तथा भोजपुर नगर बसाया |

12. देवपाड़ा अभिलेख

देवपाड़ा अभिलेख बंगाल से प्राप्त हुआ है और इसको जारी करने वाला शासक विजयसेन था | इस अभिलेख कों उमापतिधर के द्वारा लिखा गया था | इस अभिलेख से विजयीसेन कि उपलब्धि, सम्राज्य विस्तार तथा सेन वंश कि वंशावली के बारे में पता चलता है | इससे स्पष्ट होता है कि सेन वंश का संस्थापक सामन्तसेन था |

नोट :- सेन वंश का विद्वान शासक लक्ष्मणसेन था | जिसके दरबार में गीतगोविन्द के रचयिता जयदेव, पवनदुत के रचयिता धोई तथा प्रधानमंत्री हलायुद्ध रहते थे |

13. मधुवन अभिलेख

मधुवन अभिलेख उत्तर प्रदेश से मिला है और इसको जारी करने वाला शासक हर्षवर्धन था | इससे स्पष्ट होता है कि हर्षवर्धन ने ह्वेनसंग कि अध्यक्षता में कन्नौज तथा प्रयाग में दो बार बौद्ध महासम्मेलन का आयोजन किया |

14. सन्नीपठ ताम्रपत्र अभिलेख

यह अभिलेख उत्तर प्रदेश से प्राप्त हुआ है और इसको हर्षवर्धन के द्वारा जारी किया गया था | इसमें हर्षवर्धन के लिए उत्तरापथस्वामिन शब्द का उल्लेख हुआ है |

*पल्लव कालीन अभिलेख 1. मदांगपट्ट अभिलेख

यह अभिलेख काँची से प्राप्त हुआ है और इसको महेन्द्रवर्मन शासक ने जारी किया है | इसी अभिलेख से स्पष्ट होता है कि महेंद्रवर्मन पहला जैन था परन्तु शैव संत अप्पाट के सम्पर्क में आने के कारण शैव हो गया | इस अभिलेख से महेंद्रवर्मन के जीवनी, उपलब्धियों के सम्बन्ध में पता चलता है |

*पल्लव कालीन अभिलेख 2. मल्लिकार्जुन अभिलेख

यह अभिलेख काँची से प्राप्त हुआ है और इसको नरसिंहवर्मन प्रथम ने जारी किया था | इस अभिलेख में नरसिंहवर्मन प्रथम को पल्लववंश का सबसे प्रतापी राजा कहा गया है तथा यह कहा गया है कि नरसिंहवर्मन प्रथम ने चालुक्यों कि राजधानी वतापी पर विजय प्राप्त कि तथा वतापीकोंडा कि उपाधि धारण कि |

* राष्ट्रकुटकालीन अभिलेख

1. दशावतार अभिलेख

यह अभिलेख मान्यखेत से प्राप्त हुआ है और जारी करने वाला शासक का नाम कृष्ण प्रथम है |इस अभिलेख से राष्ट्रकुट वंश कि उत्पत्ति के सबंध में सूचना प्राप्त होती है | इसी अभिलेख से पता चलता है कि राष्ट्रकुट वंश का संस्थापक दंतिदुर्ग था |

2. चित्रदुर्ग अभिलेख

यह अभिलेख मान्यखेत से मिला है और इस अभिलेख कों जारी करने वाला शासक कृष्ण प्रथम है | इस अभिलेख में कृष्ण प्रथम कों उत्तर एवं दक्षिण भारत का अधिपति कहा गया हैं |

3. कन्नीनुर अभिलेख

यह अभिलेख दक्षिण भारत में पाया गया है और इसको जारी करने वाला शासक अमोघवर्ष है | इस अभिलेख से पता चलता है कि अमोघवर्ष सबसे लम्बे समय तक शासन करने वाला शासक था | कन्नड़ का महान विद्वान था |कविराज मार्ग नामक महान पुस्तक लिखी एवं कविराज का उपाधि धारण की | इसी अभिलेख से स्पष्ट होता है कि अमोगवर्ष कि पुत्री चंद्रवल्लभी के द्वारा रायचुरदास पर शासन किया गया था | इसी अभिलेख से स्पष्ट होता है कि अमोघवर्ष माँ दुर्गा का बहुत बड़ा भक्त था | जिसने माँ दुर्गा कों अपना अंगूठा चढ़ा दिया था | बाद में अमोघवर्ष जैन हो गया |

* कनिष्क कालीन अभिलेख

1. सुई बिहार अभिलेख

यह अभिलेख सिंध में मिला है और जारी करने वाला शासक कनिष्क है | कनिष्क कालीन वाणिज्य व्यापार के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण सूचना प्राप्त होती है |

2. सारनाथ अभिलेख

यह अभिलेख बनारस में मिला है और कनिष्क ने इसे जारी किया है | कनिष्क बौद्ध धर्म के प्रति झुकाव तथा सम्राज्य विस्तार के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण सूचना प्राप्त होती है |

3. मणिकताल अभिलेख

यह अभिलेख पंजाब से प्राप्त हुआ है और इसे कनिष्क ने जारी किया है | इस अभिलेख से स्पष्ट होता है कि कनिष्क ने पंजाब में बौद्ध भिझुओं के लिए अनेक बौद्ध स्तुप तथा विहार कि स्थापना करायी |

4. जेद्धा अभिलेख

यह अभिलेख पंजाब में मिला है और जारी करने वाला शासक कनिष्क है | कनिष्क का बौद्ध धर्म के पार्टी झुकाव का सूचना प्राप्त होती है |

5. साँची एवं भरहुत अभिलेख

यह अभिलेख मध्यप्रदेश में मिला है और कनिष्क में इसे जारी किया है | कनिष्क कालीन व्यापार के सम्बन्ध में सूचना देने वाला महत्वपूर्ण अभिलेख है |

6. उत्तरमेरूर अभिलेख

यह अभिलेख तंजौर से प्राप्त हुआ है और इसे शासक परांतक प्रथम के द्वारा जारी किया गया है | यह चोल का सबसे महत्वपूर्ण अभिलेख है | यह तंजौर के राजराजेश्वर मंदिर के दीवार पर अंकित है | चोल कालीन स्थानीय शासन व्यवस्था कि सूचना उपलब्ध कराता है |

7. अवनिल अभिलेख

यह अभिलेख तंजौर से प्राप्त हुआ है और इसे सुन्दर चोल शासक ने जारी किया है | इस अभिलेख से स्पष्ट होता है कि सूंदर चोल ने अपने शासनकल में सम्पूर्ण भूमी मपवाई थी |

7. अवनिल अभिलेख

यह अभिलेख तंजौर से प्राप्त हुआ है और इसे सुन्दर चोल शासक ने जारी किया है | इस अभिलेख से स्पष्ट होता है कि सूंदर चोल ने अपने शासनकल में सम्पूर्ण भूमी मपवाई थी |

* सातवाहनकालीन अभिलेख

1. नासिक अभिलेख

यह अभिलेख नासिक ( महाराष्ट्र ) से प्राप्त हुआ है और इसे राजाकान्ह ने जारी किया है | इस अभिलेख से सातवाहन वंश के उदय कि सूचना प्राप्त होती है तथा स्पष्ट होता है कि सातवाहन वंश का संस्थापक सिमुख था |

2. नानघाट अभिलेख

यह अभिलेख महाराष्ट्र से प्राप्त हुआ है और इसे शासक सातकर्णी प्रथम ने जारी किया है | इस अभिलेख से सातवाहन कालीन समाजीक स्थिति विशेषकर नारियों की स्थिति के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण सूचना प्राप्त होती है |

3. नासिक गुफा अभिलेख

यह अभिलेख नासिक से प्राप्त हुआ है और इसे शासक गौतमी पुत्र सातकर्णी ने जारी किया है | इस अभिलेख से स्पष्ट स्पष्ट होता है कि सातवाहन ब्राह्मण थे |

4. बेलारी अभिलेख

यह अभिलेख महाराष्ट्र से प्राप्त हुआ है और इसे शासक वशिष्ट पुत्र पुलुमावी ने जारी किया है | इससे शक सातवाहन संघर्ष एवं वैवाहिक स्थिति के सबंध में सूचना प्राप्त होती है |

5. अजंता अभिलेख

यह अभिलेख महाराष्ट्र से प्राप्त हुआ है और वकाटक वंश के शासक प्रवरसेन ने जारी किया है |

6. कर्मदंज ताम्रपत्र अभिलेख

यह अभिलेख फ़ैजाबाद से प्राप्त हुआ है और इसे शासक कुमारगुप्त प्रथम ने जारी किया है | यह शिवलिंग पर लिखा गया एकमात्र अभिलेख है | इससे स्पष्ट होता है कि कुमारगुप्त प्रथम ने शिव कि एक विशाल लिंग स्थापित करायी थी |

7. सुप्रिया ताम्रपत्र अभिलेख

यह अभिलेख रावी ( मध्यप्रदेश )से प्राप्त हुआ है और शासक स्कन्दगुप्त के द्वारा जारी किया है | गुप्तवंश कि वंशाबली देने वाला यह एकमात्र अभिलेख है | यह एकमात्र अभिलेख है जिसमें कायस्थ का जाति के रूप में उल्लेख हुआ है |

* गुप्तकालीन अभिलेख

1. प्रयाग प्रशस्ती अभिलेख

यह अभिलेख प्रयाग ( इलाहाबाद ) से प्राप्त हुआ है और शासक समुन्द्रगुप्त के द्वारा जारी किया है | इसे हरिसेन लिखा है | इस अभिलेख से समुन्द्रगुप्त के उत्तरभारत, दक्षिणभारत, सीमांत क्षेत्र के विजय अभियान का पता चलता है तथा यह स्पष्ट होता है कि समुन्द्रगुप्त ने विदेशी शक्तियों जैसे कुषाणों एवं शकों कों पराजीत किया था |

2. एरण अभिलेख

यह अभिलेख विदिश (मध्यप्रदेश ) से प्राप्त हुआ है तथा शासक भानुगुप्त (510 A. D) द्वारा जारी किया गया है | इस अभिलेख से स्पष्ट होता है कि उत्तर पश्चिम सिमाप्रान्त में हूणों के आक्रमण के समय गोपराज नामक सैनिक मारा गया जिसके कारण उसकी पत्नी शोभादेवी ने आत्महत्या कर ली | सतीप्रथा की सूचना उपलब्ध कराने वाला यह प्राचीन भारत का प्रथम अभिलेखीय प्रमाण है |

3. उदयगिरी अभिलेख

यह अभिलेख मध्यप्रदेश से प्राप्त हुआ है और शासक चन्द्रगुप्त द्वितीय के द्वारा जारी किया गया है | इसे लिखनेवाला विरसेन था | इससे स्पष्ट होता है कि चन्द्रगुप्त द्वितीय ने परम भागवत कि उपाधि धारण कि थी अर्थात वैष्णों धर्म का उपासक बना |

4. मथुरा अभिलेख

यह अभिलेख उत्तरप्रदेश से प्राप्त हुआ है और इसे जारी करने वाला शासक चन्द्रगुप्त द्वितीय है | इसमें प्रारंभिक गुप्त शासकों कि चर्चा है |

5. साँची अभिलेख

यह अभिलेख मध्यप्रदेश से प्राप्त हुआ है और इसे जारी करनेवाला शासक चन्द्रगुप्त द्वितीय है | इसमें चन्द्रगुप्त द्वितीय कों परम भागवत तथा महाराजाधिराज कहा गया है |

6.गढ़वा अभिलेख

यह अभिलेख मध्यप्रदेश से प्राप्त हुआ है और शासक चन्द्रगुप्त द्वितीय द्वारा जारी किया गया था | गुप्तकालीन सामन्तवादी व्यवस्था कि सूचना प्राप्त होती है |

7. मेहरौली अभिलेख

यह अभिलेख दिल्ली से प्राप्त हुआ है और शासक चन्द्रगुप्त द्वितीय के द्वारा जारी किया गया है | यह प्राचीन भारत का लौह अभिलेख है | इससे स्पष्ट होता है कि चन्द्रगुप्त द्वितीय ने बंगाल पर विजय प्राप्त की थी |

8. बिलषड अभिलेख

यह अभिलेख मध्यप्रदेश से प्राप्त हुआ है और शासक कुमारगुप्त प्रथम ने जारी किया है | गुप्तकालीन कर व्यवस्था के सम्बन्ध में सूचना प्राप्त होती है |

9. जुनागढ़ अभिलेख

यह अभिलेख गुजरात से प्राप्त किया गया है और शासक स्कन्दगुप्त के द्वारा जारी किया गया है | इस अभिलेख कि शुरुआत विष्णु के श्लोक से होती है | इससे स्पष्ट होता है कि स्कन्दगुप्त ने हूनों कों पराजीत किया था |

10. कहोम एवं सांझोम अभिलेख

यह अभिलेख उत्तरप्रदेश से प्राप्त हुआ है और शासक स्कन्दगुप्त ने इसे जारी किया है | इससे स्पष्ट होता है कि स्कन्दगुप्त ने शकों कों पराजीत किया था |

11. भितरी स्तम्भ लेखा

यह अभिलेख गाजीपुर (उत्तरप्रदेश ) से प्राप्त हुआ है और इसे जारी करने वाली शासक स्कन्दगुप्त है | इसमें स्कन्दगुप्त को एकमात्र वीर शासक कहा गया है |

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