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अंडमान और निकोबार द्वीप का भौगोलिक विस्तार

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अंडमान और निकोबार द्वीप का परिचय

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह भारत के पूर्वी समुद्र में स्थित एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है, जो बंगाल की खाड़ी और अंडमान सागर के बीच फैला हुआ है। यह द्वीप समूह लगभग 572 द्वीपों से मिलकर बना है, जिसमें मुख्य द्वीप अंडमान और निकोबार हैं। अंडमान और निकोबार की भौगोलिक स्थिति इसे एक रणनीतिक औसत स्थान पर रखती है, जो समुद्री परिवहन और व्यापार के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

भौगोलिक दृष्टि से अंडमान और निकोबार द्वीप समूह कई द्वीप श्रृंखलाओं में बंटा हुआ है, जिसमें प्रमुख अवशेष ऊंचे पर्वत, समुद्री तट और घने वनों से भरे क्षेत्र हैं। यहां की जलवायु उष्णकटिबंधीय है, जो पूरे वर्ष उच्च तापमान और बारिश के साथ रहती है। इस द्वीप समूह की जनसंख्या लगभग 4 लाख है, जिसमें विभिन्न जातीय और सांस्कृतिक समूहों का मिश्रण है। यहाँ की संस्कृति अनूठी और विविध है, जिसमें स्थानीय आदिवासी समुदायों की परंपराएं और बाहरी प्रवासी संस्कृतियाँ सम्मिलित हैं।

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि भी विशेष रूप से दिलचस्प है। ये द्वीप भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय से ही एक महत्वपूर्ण स्थल रहे हैं, जहां स्वतंत्रता सेनानियों ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष किया। यहाँ पर अंग्रेज़ों ने काला पानी के रूप में जाने जाने वाले कारागार का निर्माण किया था, जो कि आज भी भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थल के रूप में माना जाता है। इस प्रकार, अंडमान और निकोबार का परिचय केवल भौगोलिक विशेषताओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और सामरिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

भौगोलिक स्थिति

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह भारतीय महासागर के पूर्वी हिस्से में स्थित हैं। यह द्वीप समूह मुख्य भूमि भारत से लगभग 1,300 किलोमीटर की दूरी पर है, और ये बंगाल की खाड़ी तथा अंडमान सागर के बीच फैले हुए हैं। अंडमान द्वीप समूह मुख्य रूप से 36 द्वीपों का समूह है, जबकि निकोबार द्वीप समूह में 22 प्रमुख द्वीप हैं।

इन द्वीपों की भौगोलिक स्थिति इसे एक अद्वितीय स्थान बनाती है। अंडमान द्वीप समूह का मुख्य द्वीप, “अंडमान”, यहां के अधिकांश पर्यटन का केंद्र है। इसके उत्तर में, निकोबार द्वीप समूह स्थित है, जिनमें सबसे प्रमुख निकोबार द्वीप है, जहां प्राकृतिक सौंदर्य और अद्वितीय वन्य जीवन देखा जा सकता है। यह क्षेत्र प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर है और यहां के समुद्री क्षेत्र मौसमी आय के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं।

भौगोलिक दृष्टि से, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की स्थिति उन्हें दक्षिण-पूर्व एशिया और भारतीय उपमहाद्वीप के बीच एक रणनीतिक स्थान प्रदान करती है। इनके पास थाईलैंड, म्यांमार और इंडोनेशिया जैसे देशों का निकट संबंध है, जिससे यह द्वीप क्षेत्र व्यापार और सांस्कृतिक संबंधों के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बनता है। इसके अतिरिक्त, यह द्वीप समूह अपने तटीय क्षेत्रों और अद्वितीय पारिस्थितिकीय तंत्र के लिए भी जाना जाता है। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की इन विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए, यह स्पष्ट है कि उनकी भौगोलिक स्थिति न केवल उनमें से प्रत्येक द्वीप के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, बल्कि यह उनके पर्यावरणीय और आर्थिक संसाधनों को भी प्रभावित करती है।

द्वीपों का वर्गीकरण

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, जो भारतीय क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, कई द्वीपों के समूह में विभाजित हैं। इन द्वीपों को उनके भौगोलिक और प्रशासनिक विशेषताओं के अनुसार विभिन्न श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है। मुख्य रूप से, इस द्वीप समूह को अंडमान द्वीप और निकोबार द्वीप में बांटा जाता है। अंडमान द्वीप मुख्य रूप से चार महत्वपूर्ण समूहों में विभाजित हैं: मुख्य अंडमान द्वीप, दक्षिण अंडमान, नॉर्थ अंडमान, और लिटिल निकोबार।

मुख्य अंडमान द्वीप का क्षेत्रफल अत्यधिक बड़ा है और यह औद्योगिक विकास तथा पर्यटन के लिए जाना जाता है। इस क्षेत्र में पोर्ट ब्लेयर जैसे बड़े शहर स्थित हैं, जो इस द्वीप समूह का प्रशासनिक केंद्र भी हैं। दक्षिण अंडमान द्वीप, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध हैं, में शानदार समुद्र तट और विविध जैव विविधता पाई जाती है।

नॉर्थ अंडमान द्वीप कम विकसित हैं लेकिन साथ ही साथ ये भी अपनी अद्वितीय प्राकृतिक आकर्षण के लिए प्रसिद्ध हैं। यहां के मुख्य स्थल जैसे रॉस आइलैंड और हिबरन फॉल्स साहसिक गतिविधियों के लिए आदर्श स्थान हैं। लिटिल निकोबार और ग्रेट निकोबार द्वीपों को अलग तरह से वर्गीकृत किया जाता है, जो अपनी विशिष्ट जनजातियों और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध हैं। ये द्वीप समुद्री जैव विविधता और अनछुए प्राकृतिक सौंदर्य को प्रकट करते हैं, जो इन द्वीपों को अद्वितीय बनाता है।

इस प्रकार, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का वर्गीकरण उनके विविधताओं और विशेषताओं को दर्शाता है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि प्रत्येक द्वीप का अपना स्वतंत्र महत्व है।

जलवायु की विशेषताएँ

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की जलवायु उष्णकटिबंधीय है, जो मौसमी विविधता और वर्षा की चरम गुणवत्ता की विशेषता रखती है। द्वीपों का मौसम दो प्रमुख मौसमों में विभाजित होता है: सामान्यत: गर्म और आर्द्र ग्रीष्मकाल और मानसून। ग्रीष्मकाल का तापमान औसतन 25° से 32°C के बीच रहता है। यह द्वीप क्षेत्र समुद्र के निकटता के कारण, आर्द्रता का भी अनुभव करता है, जो अक्सर 70% से 90% के बीच होती है।

मानसून के दौरान, जो आमतौर पर जून से सितंबर तक चलता है, यह क्षेत्र भारी वर्षा का अनुभव करता है। इस मौसम में द्वीपों पर औसत वार्षिक वर्षा 3000 से 4000 मिमी तक बढ़ जाती है। यह जलवायु इस क्षेत्र की समृद्ध वनस्पति और जैव विविधता का मुख्य कारण है। इसके विपरीत, शुष्क क्षेत्रों की जलवायु अधिकतम तापमान में बढ़कर 35°C या उससे अधिक हो सकता है, जबकि वर्षा की मात्रा कहीं कम होती है, जिससे सूखा और पर्यावरणीय अस्थिरता की संभावना बढ़ जाती है।

द्वीपों की जलवायु अत्यधिक अनुशासित है, जहां वर्ष के विभिन्न समयों में जलवायु परिवर्तन स्पष्ट होता है, लेकिन यह सूखे क्षेत्रों के मौसम की अनियोजितता के मुकाबले अधिक संतुलित है। एक ओर, यहाँ की जलवायु आसपास के समुद्र से मानक तापमान बनाए रखती है, वहीं दूसरी ओर, शुष्क क्षेत्रों की जलवायु क्षतिग्रस्त पारिस्थितिकी और खाद्य असुरक्षा जैसी समस्याओं का सामना करती है। इस प्रकार, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की जलवायु इसकी भौगोलिक और पारिस्थितिकीय धरोहर के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

प्राकृतिक संसाधन

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह अपने अद्वितीय भौगोलिक स्थान के कारण अनेक प्राकृतिक संसाधनों का धनी है। यहाँ की वनस्पति, जलीय जीवन, खनिज संसाधन, और कृषि उत्पादन इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी को मजबूत करते हैं। विशेष रूप से इन द्वीपों की अद्वितीय वनस्पति, जिसमें कई प्रकार के पेड़, पौधे और औषधीय वनस्पतियाँ शामिल हैं, यहाँ की जैव विविधता को दर्शाती हैं।

अंडमान और निकोबार में उपस्थिति जलीय जीवन अत्यंत समृद्ध है। यहाँ के जल में मछलियों, शंखों और अन्य समुद्री जीवों की अनेक प्रजातियाँ देखने को मिलती हैं। यह जलीय संसाधन न केवल स्थानीय समुदायों के लिए एक महत्वपूर्ण खाद्य स्रोत हैं, बल्कि पर्यटन के दृष्टिकोण से भी यह अत्यधिक आकर्षक हैं। विविध जलीय जीवन स्थलीय और जलीय पारिस्थितिकी प्रणालियों को संतुलित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

खनिज संसाधनों की बात करें तो अंडमान और निकोबार द्वीपों में विभिन्न खनिजों की उपस्थिति दर्ज की गई है, जिनमें कोयला, प्राकृतिक गैस और अन्य खनिज शामिल हैं। ये संसाधन विकास की संभावनाओं को क्षितिजित करते हैं, लेकिन उनके उचित और सतत उपयोग की आवश्यकता है। द्वीपों की संधारणीयता सुनिश्चित करने के लिए, इन्हें संरक्षण और सावधानीपूर्वक प्रबंधन की आवश्यकता है।

अंत में, कृषि उत्पादन भी इन द्वीपों के लिए एक महत्वपूर्ण अर्थव्यवस्था का हिस्सा है। यहाँ की जलवायु उष्णकटिबंधीय फसलें, जैसे नारियल, काजू और विभिन्न मसालों का उत्पादन करती हैं। उचित प्रथाओं के माध्यम से इन संसाधनों का संरक्षण अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की समृद्धि सुनिश्चित करेगा।

भौगोलिक स्थलाकृति

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का भौगोलिक स्थलाकृति न केवल इसकी सुंदरता में योगदान करता है, बल्कि इसमें विभिन्न प्रकार के पर्यावरणीय और जैव विविधता को भी दर्शाता है। इस द्वीप समूह में कुल 572 द्वीप शामिल हैं, जिनमें से अंडमान के द्वीप 38 हैं और निकोबार के द्वीप 24 हैं। इन द्वीपों का कुल क्षेत्रफल लगभग 8,749 वर्ग किलोमीटर है। इस क्षेत्र में पहाड़ी एवं पठारी भाग देखने को मिलते हैं, जो इसकी विशिष्टता को बढ़ाते हैं। यहाँ पर सर्वोच्च शिखर, नीलकंठ पहाड़ी, ऊँचाई में 732 मीटर तक पहुँचता है।

इसके अलावा, अंडमान और निकोबार के द्वीपों का तटीय क्षेत्र भी अद्वितीय है, जिसकी रेत के तट और नीले समुद्र अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करते हैं। यहाँ के समुद्री तट सफेद रेत से भरे हैं, जो पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। पर्यटन उद्योग में वृद्धि के चलते, ये तट विदेशी एवं स्थानीय पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन गए हैं। जहां अंडमान में सितारे पीट के समुद्री तट सहित कई प्रसिद्ध तट हैं, वहीं निकोबार के समुद्र तटों की भी अपनी विशेषताएँ हैं।

इस द्वीप समूह में कई प्राकृतिक अभयारण्यों का भी अस्तित्व है, जो जैव विविधता के संरक्षण का समर्थन करते हैं। इनमें रॉंगटांग अभयारण्य, बेबी बैंड अभयारण्य और नारकोंडम अभयारण्य शामिल हैं। ये अभयARN्य न केवल वन्यजीवों के अंगीकरण करते हैं, बल्कि कई विशिष्ट प्रजातियों के विकास में भी सहयोग करते हैं। कुल मिलाकर, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की भौगोलिक स्थलाकृति इसे अद्वितीय बनाती है और इसे पर्यटकों, शोधकर्ताओं और संरक्षणकर्ताओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बनाती है।

द्वीपों की जैव विविधता

अंडमान और निकोबार द्वीप, जो भारतीय महासागर में स्थित हैं, जैव विविधता के समृद्ध स्रोत के रूप में प्रसिद्ध हैं। ये द्वीप नदियों, पहाड़ियों, और अद्वितीय पारिस्थितिकी तंत्रों के कारण विभिन्न जीवों और पौधों की प्रजातियों का गहना हैं। इनमें २०,००० से अधिक पौधों की प्रजातियाँ, २५० से अधिक पशु प्रजातियाँ, और कोरल रीफ के नीचे रहने वाले ६०० से अधिक प्रजातियाँ शामिल हैं। इस जैव विविधता का एक महत्वपूर्ण पहलू उनके पारिस्थितिकी तंत्र का स्वस्थ बनाए रखना है, जहां सभी जीव एक-दूसरे पर निर्भर करते हैं।

अंडमान और निकोबार द्वीपों पर पाए जाने वाले जीव-जंतु जैसे कि कछुए, सालेकार, और लुप्तप्राय प्रजातियाँ जैसे कि निकोबारी काला बंदर, समुद्र कछुआ इत्यादि, इस क्षेत्र की जैव विविधता को दर्शाते हैं। पौधों की बात करें, तो यहाँ बांस, उष्णकटिबंधीय वनों और कई औषधीय पौधों की अनेक प्रजातियाँ पाई जाती हैं। ये पौधे न केवल भौतिक परिदृश्य को सजाते हैं, बल्कि जीवों के लिए महत्वपूर्ण आवास भी प्रदान करते हैं।

जैव विविधता की सुरक्षा के लिए, सरकार और कई गैर-सरकारी संगठनों ने संरक्षण के कई उपाय किए हैं। ये प्रयास जैविक प्रजातियों की रक्षा के साथ-साथ समुद्री पारिस्थितिकी के अध्ययन और जीवों के प्राकृतिक आवासों की पुनर्स्थापना पर केंद्रित हैं। अंततः, अंडमान और निकोबार द्वीप का पारिस्थितिकी तंत्र उनके जीवों और पौधों की प्रजातियों की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इसके साथ ही यह क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भी आवश्यक है।

यात्रा और पर्यटन

अंडमान और निकोबार द्वीप, जो भारतीय महासागर में स्थित हैं, अपनी मनोहारी सुंदरता और समृद्ध जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध हैं। यह द्वीप समूह, जिसमें 572 छोटे-बड़े द्वीप शामिल हैं, पर्यटकों के लिए एक आकर्षक स्थल है, जो हर साल हजारों लोगों को अपनी ओर खींचता है। यहां के प्रमुख पर्यटन स्थलों में सफेद रेत वाले किनारे, उष्णकटिबंधीय वर्षा वन और समुद्री जीवन की अद्भुत विविधता शामिल है।

द्वीपों पर जाने वाले पर्यटक कई आकर्षणों का आनंद ले सकते हैं, जैसे कि सेलुलर जैल, जो इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है, और रॉस द्वीप, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित स्थान है। इसके अलावा, चिड़िया टापू भी एक प्रसिद्ध स्थल है, जहां पर्यटक कई प्रकार के पक्षियों को देख सकते हैं। यह द्वीप समूह न केवल प्राकृतिक सौंदर्य का केंद्र है, बल्कि इसमें विभिन्न साहसिक गतिविधियों की भी भरपूर सामग्री है। डाइविंग, स्नॉर्कलिंग, और ट्रेकिंग जैसे खेल, यहां के आकर्षण को और बढ़ाते हैं।

यात्रा के लिए सबसे उपयुक्त मौसम अक्टूबर से मई के बीच होता है, जब तापमान और आर्द्रता सुखद होती है। इस अवधि में, सैलानी समुद्र तटों का आनंद ले सकते हैं और विभिन्न जलवायु गतिविधियों में भाग ले सकते हैं। स्थानीय संस्कृति और खानपान भी इस क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। अंडमान और निकोबार के लोग विभिन्न जातियों और संस्कृतियों का संगम हैं, जो वहाँ की सभ्यता को विविधता और रंग प्रदान करते हैं। उनके पारंपरिक खाने में समुद्री भोजन प्रमुख है, जिसमें ताजे समुद्री जीव और मसालेदार व्यंजन शामिल हैं।

पर्यावरणीय चुनौतियाँ

अंडमान और निकोबार द्वीप, भारतीय महासागर में स्थित एक अद्वितीय पर्यावरणीय क्षेत्र हैं, जो अपने जैव विविधता और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध हैं। हालांकि, इन द्वीपों का पारिस्थितिकी तंत्र विभिन्न पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना कर रहा है। जलवायु परिवर्तन एक महत्वपूर्ण समस्या बन गई है, जो समुद्र के स्तर में वृद्धि और अधिक तीव्र तूफानों के रूप में दिखाई दे रही है। इन घटनाओं का द्वीपों की निवास स्थानों और तटीय क्षेत्रों पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।

साथ ही, समुद्री प्रदूषण भी एक अन्य प्रमुख चिंता का विषय है। विकास के साथ-साथ अवशिष्ट प्रबंधन की कमी के कारण समुद्री जल में प्लास्टिक और अन्य प्रदूषकों की मात्रा बढ़ रही है। यह न केवल समुद्री जीवन को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि स्थानीय समुदायों के लिए भी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनता है। समुद्री जीवन, विशेष रूप से प्रवाल भित्तियों, जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण से तेजी से प्रभावित हो रहे हैं, जिसके कारण इनकी वृद्धि दर कम हो रही है और उनके निवास स्थान घट रहे हैं।

इसी तरह, वन्य जीवों की लुप्त होती प्रजातियाँ भी एक चिंताजनक विषय हैं। कई प्रजातियाँ, जो केवल इन द्वीपों में पाई जाती हैं, अब संकट में हैं। ऐसे में संरक्षण के प्रयासों की आवश्यकता है, जो स्थानीय समुदायों के सहयोग से चलाए जा रहे हैं। स्थानीय नस्लें और पारंपरिक ज्ञान उपयोग करके पर्यावरण को स्थायी बनाए रखना आवश्यक है। इसके साथ ही, इन प्रजातियों के संरक्षण के लिए स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाना भी महत्वपूर्ण है। इससे न केवल पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा होगी, बल्कि सामाजिक विकास भी संभव होगा।

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